हवन के दौरान हम स्वाहा क्यों बोलते है?
- hindu sanskar
- Jun 26, 2022
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हम सब के घरों में हवन होते ही रहते है किसी न किसी धर्मकार्य में, हवन के दौरान हम स्वाहा क्यों बोलते है क्या आपने कभी इस पर सोचा है,।
पौराणिक कथाये कुछ इस प्रकार है:
स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। इनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं तथा उनके माध्यम से यही हविष्य आह्वान किए गए देवता को प्राप्त होता है।
स्वाहा प्रकृति की ही एक कला थी, जिसका विवाह अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह पर संपन्न हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ये वरदान दिया था कि केवल उसी के माध्यम से देवता हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे। यज्ञीय प्रयोजन तभी पूरा होता है जबकि आह्वान किए गए देवता को उनका पसंदीदा भोग पहुंचा दिया जाए।
क्योकि बिना शक्ति की सब अधूरा है और पूर्ण नहीं है, इसलिए पुरुष और प्रकृति, शिव और शक्ति की पूर्णता बिना कोई हवन संपूर्ण नहीं माना जाता है, शक्ति ही स्वाहा है और स्वाहा ही शक्ति है,

वैज्ञानिक कारण यह है के, जब हम हवन में बैठते है तब हमारी पांचो इन्द्रिय काम करती है और हवन में पूर्णता सम्मलित होने के लिए हमे पांचो इन्द्रिय उस अमुक हवन पर केंद्रित होनी चाहिए, अर्थात हमारा तन, मन और आत्मा हवन में रेहनी चाहिए, भटकाव ना हो,
श्रवण हम करते है पुरोहित द्वारा मन्त्रों के
स्पर्श हम करते है पूजा कार्य में सामग्री का
सुगंध हम लेते है हवन के दौरान समस्त सुगन्धित वस्तुए की
स्वाद हम लेते है हवन के दौरान जल का आचमन के तरह
दृष्टि से हम सम्पूर्ण हवन के साक्षी बनते है
बस वाक् शक्ति को सम्मलित नहीं करते, इसलिए हम स्वाहा बोलते है आहुति देते समय जिससे हम पूर्णता द्रव्य या अद्रव्य से अपने को समर्पित कर सके उस छड़ में, और अपने को जोड़े उस अलौकिक ब्रह्म ऊर्जा से जो हमारे तन, मन और आत्मा को एक अटूट शांति प्रदान करती है,

इसलिए हमेशा ज़ोर से बोलना चाहिए स्वाहा, यह न की आपका बल्कि आपके आस पास बैठे समस्त मनुष्यो का ध्यानम हवन की ओर केंद्रित कर देता है,
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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