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गुरु पूर्णिमा का महत्व, गुरुतुल्य सभी बड़ों का आशीर्वाद लें

गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु को समर्पित है. मान्यता है कि बिना गुरु के ज्ञान के प्राप्ति नहीं होती है. सच्चे गुरु की जब प्राप्ति हो जाती है तो जीवन से सभी प्रकार के अंधकार मिट जाते हैं. आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के पर्व के बारे में.


इस दिन 5 जुलाई को मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा गुरु ही नहीं , गुरुतुल्य सभी बड़ों का आशीर्वाद लें


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन दिन महाभारत और 18 पुराणोंके रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास ( वेद व्यास ) का जन्म हुआ था । साथ ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी कृष्ण द्वैपायन व्यासजी को जाता है , जिस वजह से इनको वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है ।

गुरु पूर्णिमा

महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु भी कहा जाता है , जिस वजह से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना श्रेष्ठ माना जाता है , क्योंकि गुरु ही है जो संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते हैं । गुरु ज्ञान और दिखाए गए मार्ग पर चलकर व्यक्ति मोक्ष पाता है ।


आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है । इस दिन गुरु ही नहीं , बल्कि अपनों से बड़े यानी माता - पिता , भाई - बहन को गुरुतुल्य समझकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है ।


गुरु पूर्णिमा: समय और मुहूर्त:


गुरु पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 4 जुलाई से प्रात: 11:33 बजे होगा और गुरु पूर्णिमा तिथि समापन 5 जुलाई को प्रात: 10:13  बजे होगा.


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