top of page

प्रकृत्ति से सीखो मनुष्य बनना

Writer's picture: hindu sanskarhindu sanskar

प्रकृत्ति के ऐसे तीन अटूट नियम जिन्हें कभी झुठलाया नहीं जा सकता है, आइये देखे कैसे हमे प्रकृति मनुष्य बनने का ज्ञान देती है,


पहला नियम:-प्रकृत्ति का पहला नियम वो ये कि यदि खेतों में बीज न डाला जाए तो प्रकृत्ति उसे घास फूस और झाड़ियों से भर देती है। ठीक उसी प्रकार से यदि दिमाग में अच्छे एवं सकारात्मक विचार न भरे जाएं तो बुरे एवं नकारात्मक विचार उसमें अपनी जगह बना लेते हैं।

मन को पवित्र रखे-कोशिश करे

दूसरा नियम:-प्रकृत्ति का दूसरा नियम वो ये कि जिसके पास जो होता है, वो वही दूसरों को बाँटता है। जिसके पास सुख होता है, वो सुख बाँटता है। जिनके पास दुख होता है, वो दुख बाँटता है,जिसके पास ज्ञान होता है, वो ज्ञान बाँटता है,जिसके पास हास्य होता है, वो हास्य बाँटता है, जिसके पास क्रोध होता है, वो क्रोध बाँटता है, जिसके पास नफरत होती है वो नफरत बाँटता है,और जिसके पास भ्रम होता है वो भ्रम फैलाता है।

एक बार शर्तरहित प्रेम करके तोः देखो

तीसरा नियम:-प्रकृत्ति का तीसरा नियम वो ये कि भोजन न पचने पर रोग बढ़ जाता है, ज्ञान न पचने पर प्रदर्शन बढ़ जाता है,पैसा न पचने पर अनाचार बढ़ जाता है, प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ जाता है,सुख न पचने पर पाप बढ़ जाता है, और सम्मान न पचने पर तामस बढ़ जाता है।

अति सर्वत्र वर्जयेत्, ज्यादा हमेशा छलकेगा

प्रकृत्ति अपने आप में एक विश्वविद्यालय ही है। हमें प्रकृत्ति की विभिन्न सीखों को जीवन में उतार कर अपने जीवन को खुशहाल, आनंदमय और श्रेष्ठ बनाने हेतु सतत प्रतिबद्ध होना चाहिए,

एक बार मनुष्य बन कर तो देखो

संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद् 


コメント


bottom of page