पवित्र उपायों से प्राप्त किया गया धन पवित्र होता है। ऐसे पवित्र धनवानों के घरों में महान पुरुष साधक जन्म लेतें है या फिर उनका जन्म बुद्धि के धनी योगियों के ही कुल में होता है।
ऐसे जन्म को और भी दुर्लभ बता कर गीता में धन से ज्ञान की श्रेष्ठता बताई गयी है। ज्ञान के साथ ही हमें धन आदि बाह्य शक्ति की भी आवश्यकता है। जबतक हमें लेने में सुख और देने में दुःख का अनुभव होता है,तब तक उत्तम वस्तु कभी नहीं मिलेगी।
जबतक भोगों में सुख और त्याग में दुःख होता है,तबतक असली सुखसे हम वंचित ही रहेंगे। जबतक विषयों में प्रीति और भगवान में प्रीति है,तबतक हम सच्ची शान्ति से शून्य ही रहेंगे।जबतक शास्त्रों से अश्रद्धा और मनमाने आचरणों में रति है,तबतक कल्याण नहीं होगा।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया,प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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