वामन अवतार का जन्म कब हुआ?
पतिव्रता अदिति ने देवताओं की कार्य सिद्धि के लिये पूर्ण एकाग्रता के साथ कश्यपजी के बताये हुए उस व्रत का पालन किया ।
एक वर्ष तक इस प्रकार व्रत करने से भगवान् श्री हरि सन्तुष्ट हो गये । ब्राह्मणो ! उस समय श्रवण - नक्षत्रयुक्त द्वादशी तिथि को भगवान्का ' वामन ' रूप में प्रादुर्भाव हुए ।
वे ब्रह्मचारी बालक का रूप धारण करके परम शोभायमान दिखायी देते थे । उनके दो भुजाएँ थीं, कमल के समान खिले हुए सुन्दर नेत्र थे । उनके श्रीअंगों की कान्ति अलसी के फूल की भाँति श्याम थी । वे वनमाला से अलंकत थे ।
अदिति देवी पूजा के मध्य में ही भगवान्का इस रूप में दर्शन पाकर आश्चर्यचकित हो उठीं । उस समय उन्होंने कश्यपजी के साथ भगवान का इस प्रकार स्तवन किया -' जो कारणके भी परम कारण हैं उन विश्वात्मा, विश्वस्रष्टा तथा अजन्मा ' श्रीहरिको नमस्कार है , नमस्कार है ।
स्कन्दा पुराण
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