top of page

सनातन में 5की संख्या का महत्व

पंचामृत से लेकर पंचमेवा तक का महत्व:

पंचदेव : सूर्य, गणेश, शिव, शक्ति और विष्णु ये पंचदेव कहलाते हैं। सूर्य की दो परिक्रमा, गणेश की एक परिक्रमा, शक्ति की तीन, विष्णु की चार तथा शिव की आधी परिक्रमा की जाती है। . पांच उपचार पूजा : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करना पंच उपचार पूजा कहलाती है। . पंच पल्लव : पीपल, गूलर, अशोक, आम और वट के पत्ते सामूहिक रूप से पंच पल्लव के नाम से जाने जाते हैं। . पंच पुष्प : चमेली, आम, शमी (खेजड़ा), पद्म (कमल) और कनेर के पुष्प सामूहिक रूप से पंच पुष्प के नाम से जाने जाते हैं। . पंच गव्य : भूरी गाय का मूत्र (8 भाग), लाल गाय का गोबर (16 भाग), सफेद गाय का दूध (12 भाग), काली गाय का दही (10 भाग), नीली गाय का घी (8 भाग) का मिश्रण पंचगव्य के नाम से जाना जाता है। . पंच गंध : चूर्ण किया हुआ, घिसा हुआ, दाह से खींचा हुआ, रस से मथा हुआ, प्राणी के अंग से पैदा हुआ ये पंच गंध है। . पंचामृत : दूध, दही, घी, चीनी (शकर), शहद का मिश्रण पंचामृत के नाम से जाना जाता है। . पंचांग : जिस पुस्तक या ता‍लिका में तिथि, वार, नक्षत्र, करण और योग को सम्मिलित रूप से दर्शाया जाता है उसे पंचांग कहते हैं। . पंचमेवा : काजू, बादाम, किशमिश, छुआरा, खोपरागिट पंचमेवा के नाम से जाने जाते हैं। संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है

Comentários


AUM.jpg

Don't Miss Out

Sign Up and Get All Updates About Vedic Sanskars

🙏🙏Dhanyosami🙏🙏

©2023 by Hindu Sanskar

WhatsApp: +91-822-400-3040

  • X
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram
bottom of page