आपके कर्म ही आपकी पहचान है आपका नाम नहीं , यह सत्य है, वार्ना एक नाम के हज़ार मनुष्य होते है पर हर मनुष्य अमुक नाम का एक सा नहीं होता, जैसे ज़रूरी नहीं के कृष्णा नाम के सभी मनुष्य वास्तव में कृष्णा ही हो या राम हो ,
हर मनुष्य को अपने अपने कर्मो के दायित्व लेने चाहिए, और हम किया करते है, अपने आलावा समस्त श्रष्टि को दोषारोपण करते है अपने कर्म के लिए,
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एक ज्ञानी भी रावण हो सकता है और एक रावण भी ज्ञानी हो सकता है, सब अपने अपने कर्म की बात है, में सही हूँ, में सवरा ज्ञानी हूँ, यह पहला कदम है अपने पतन का,
हर मनुष्य अपना अपना प्रारब्ध अपने साथ लाता है जैसे के हमारा फिक्स्ड डिपाजिट, अब यह फिक्स्ड डिपाजिट होता है हमारे कर्मो का, जो की बढ़ता या घटा है हमारे कर्मो के साथ,
इसलिए नाम से कोई अंतर नहीं पड़ता, हमारी पहचान सिर्फ हमारे कर्मो से होती है, यह मत बोलिये के में इतना कर रहा हूँ फिर भी मेरे साथ अच्छा नहीं हो रहा, सोचिये आप कैसे कर्म बना रहे है,
आप दुनिया के लिए कुछ भी हो, अगर आप भगवन के लिए सही नहीं हो तोह कुछ नहीं और भगवन को आप जानते है, वह आपसे किया चाहता है,
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संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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